चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्रमिशन है, जो 14 जुलाई, 2023 को सतीशधवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरिकोटा से लॉन्च कियागया.
चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है | जिसे 14 जुलाई, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इसके रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चंद्रमा के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकते हैं। जहां अब तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है, और वहाँ यह 14 दिनों तक वहां रुककर खोज करेगा |
चंद्रयान-3 में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है | इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है | लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को छोड़ेगा | रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक चलेगा और वहां वैज्ञानिक प्रयोग करेगा | ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा करेगा तथा लैंडर और रोवर के संकेतों को पृथ्वी पर भेजेगा |
उद्देश्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक वैज्ञानिक मुख्य तीन लक्ष्य चंद्रयान-3 से पूरा करना चाहते हैं।
बनावट
इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है। इसे LVM3 द्वारा SDSC SHAR, श्री हरिकोटा से लॉन्च किया गया था । प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्रकक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक मापका अध्ययन करने के लिए रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (SHAPE) पेलोड का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री है।
लैंडरपेलोड
तापीयचालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्रा का सतह थर्मो फिजिकल प्रयोग (ChaSTE); लैंडिंग स्थल के आस पास भूकंपीयता को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (आईएलएसए); प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए लैंगमुइर जांच (एलपी)। नासा के एक निष्क्रिय लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरेको चंद्रलेजर रेंजिंग अध्ययन के लिए समायोजित किया गया है।
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